सर्दियां अभी दूर हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में रेवड़ियां खूब चर्चा में हैं। ‘अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे’ राजनीति में इसका दो मतलब है, पहला- वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त की योजनाएं और दूसरा- कुर्सी पाने के बाद केवल अपनों को लाभ पहुंचाना। रेवड़ी को भारतीय सभ्यता और खानपान में हमेशा से उच्च स्थान प्राप्त रहा है। ये हमारी समृद्धि, खुशी, परोपकार और सौहार्द का प्रतीक रही है। हालांकि, राजनीति में इसका म
सर्दियां अभी दूर हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में रेवड़ियां खूब चर्चा में हैं। ‘अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे’ राजनीति में इसका दो मतलब है, पहला- वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त की योजनाएं और दूसरा- कुर्सी पाने के बाद केवल अपनों को लाभ पहुंचाना। रेवड़ी को भारतीय सभ्यता और खानपान में हमेशा से उच्च स्थान प्राप्त रहा है। ये हमारी समृद्धि, खुशी, परोपकार और सौहार्द का प्रतीक रही है। हालांकि, राजनीति में इसका म
सर्दियां अभी दूर हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में रेवड़ियां खूब चर्चा में हैं। ‘अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे’ राजनीति में इसका दो मतलब है, पहला- वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त की योजनाएं और दूसरा- कुर्सी पाने के बाद केवल अपनों को लाभ पहुंचाना। रेवड़ी को भारतीय सभ्यता और खानपान में हमेशा से उच्च स्थान प्राप्त रहा है। ये हमारी समृद्धि, खुशी, परोपकार और सौहार्द का प्रतीक रही है। हालांकि, राजनीति में इसका म