21 साल पुराने मामले में तीन पुलिसकर्मियों को 10-10 साल की सजा
बॉर्डर न्यूज़ लाइव, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के सीतापुर की एससी-एसटी कोर्ट ने 21 साल पुराने पुलिस कस्टडी में आत्महत्या के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने तीनों को 10-10 साल की सजा सुनाई है और प्रत्येक पर 21 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दोषी पुलिसकर्मियों में सुरेश सिंह और सियाराम यादव सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि एक सिपाही केशरी नंदन पटेल बहराइच जिले में तैनात है। विशेष न्यायाधीश मोहम्मद शफीक द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद सोमवार शाम को उन्हें हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।
क्या है मामला
तीनों सिपाही सीतापुर के रामकोट पुलिस थाने के अंतर्गत कचनार पुलिस चौकी पर तैनात थे। 1 जुलाई 2003 को 25 वर्षीय डालचंद्र पासी को हिरासत में लिया गया था। डालचंद्र पर गुंडा एक्ट का मामला दर्ज था। पुलिस चौकी में डालचंद्र को एक कमरे में बंद कर दिया गया, जहां उसने अपने दुपट्टे से फांसी लगा ली थी। 2 जुलाई को उसके परिवार ने तीन सिपाहियों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।
भाई ने दर्ज कराई एफआईआर
पीड़ित के छोटे भाई मैना पासी ने एफआईआर में कहा था कि वह और डालचंद्र 1 जुलाई 2003 को डालचंद्र के खिलाफ दर्ज गुंडा एक्ट के सिलसिले में एक वकील से मिलने के बाद कोर्ट से लौट रहे थे, तभी तीनों सिपाहियों ने उन्हें रोक लिया। मैना ने कहा कि पुलिस कार्रवाई के डर से वह मौके से भाग गया, लेकिन डालचंद्र को हिरासत में ले लिया गया और कचनार पुलिस चौकी ले जाकर बंद कर दिया। लॉकअप में डालचंद्र ने फांसी लगा ली।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आत्महत्या बताई गई थी
डालचंद्र के पोस्टमॉर्टम में मौत का कारण आत्महत्या बताया गया था। मैना की शिकायत पर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) और एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। निष्पक्ष जांच के लिए मामला सीतापुर के कोतवाली पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित किया गया। बाद में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया और उन्हें उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में स्थानांतरित कर दिया गया।