क्या है इन पर्वो का महत्व व धार्मिक मान्यताएं
बॉर्डर न्यूज़ लाइव, महराजगंज
ठूठीबारी/महराजगंज: आगामी हिन्दू पर्वों नाग पंचमी, रक्षाबंधन एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर क्षेत्र के प्रतिष्ठित समाजसेवी अनिल यादव उर्फ़ गुड्डू यादव ने समस्त नगरवासियों एवं समाज के सभी वर्गों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। उन्होंने कहा कि “यह सभी पर्व हमारी सनातन संस्कृति की गहराई, पारिवारिक मूल्यों और भक्ति की परंपरा के जीवंत प्रतीक हैं। इन पर्वों के माध्यम से समाज में भाईचारा, स्नेह और ईश्वर के प्रति आस्था सुदृढ़ होती है। मैं ईश्वर से कामना करता हूं कि ये पावन अवसर सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य लेकर आए।”
नाग पंचमी की मान्यता: नागों की पूजा का पवित्र दिन
नाग पंचमी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व सर्प देवताओं की पूजा के लिए समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन नागों को दूध, फूल, अक्षत, दूर्वा आदि अर्पित कर पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष का निवारण होता है और जीवन में भय से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक कथा:
महाभारत के अनुसार जनमेजय द्वारा नाग यज्ञ किए जाने के कारण लाखों सर्प मारे गए थे। तब आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रोककर नाग जाति का जीवन बचाया। उसी घटना की स्मृति में यह दिन “नाग पंचमी” के रूप में मनाया जाता है।
रक्षाबंधन की मान्यता: भाई-बहन के प्रेम का अनुपम पर्व
रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र (राखी) बांधती हैं और उनके दीर्घायु जीवन की कामना करती हैं। भाई, बहन की रक्षा करने का वचन देता है और उपहार स्वरूप आशीर्वाद व स्नेह देता है।
धार्मिक कथा: भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी जब उन्होंने अपने कटे हुए हाथ से टपकते रक्त को द्रौपदी ने साड़ी का टुकड़ा बांध दिया था। इस घटना को राखी का मूल उदाहरण माना जाता है, जहां एक रक्षा सूत्र के बदले रक्षक जीवन भर साथ निभाता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की मान्यता: प्रेम, धर्म व लीलाओं के अवतार का उत्सव
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरी भक्ति, उल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। मथुरा, वृंदावन व देश भर के मंदिरों में झांकियां सजती हैं, माखन-चोरी, रासलीला, दही-हांडी जैसे आयोजन होते हैं।
धार्मिक महत्व: भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में दुष्ट कंस के अत्याचार समाप्त करने, धर्म की पुनर्स्थापना करने तथा गीता ज्ञान देने के लिए अवतार लिया था। यह पर्व धर्म, भक्ति, नीति और प्रेम का प्रतीक है।
समाजसेवी अनिल यादव का संदेश:
“हमें इन पर्वों से प्रेरणा लेकर समाज में प्रेम, समरसता और धार्मिक मूल्यों को मजबूत करना चाहिए। ये पर्व न केवल हमारी परंपरा हैं, बल्कि जीवन को सदाचार, भाईचारे और भक्ति से जोड़ने वाले अद्भुत सूत्र हैं।”
अंत में उन्होंने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे इन पर्वों को पारंपरिक, शांतिपूर्ण व समरसतापूर्ण ढंग से मनाएं और आपसी भाईचारे को बनाए रखें।