बॉर्डर न्यूज़ लाइव, सहारनपुर
सहारनपुर में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का होली खेलना देवबंद के उलेमाओं को नागवार गुजरा। उन्होंने इसे शरीयत के खिलाफ बताते हुए मसूद को अल्लाह से तौबा करने की नसीहत दी। लेकिन इमरान मसूद ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए साफ कहा कि यह मामला उनके और अल्लाह के बीच का है, इसमें किसी तीसरे को पड़ने की जरूरत नहीं।
होली खेलने पर उलेमाओं की आपत्ति
शुक्रवार को देशभर में रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया गया, जिसमें इमरान मसूद ने भी अपने समर्थकों के साथ रंग-गुलाल उड़ाया। खास बात यह रही कि उन्होंने देवबंद में हिंदू कार्यकर्ताओं के साथ होली खेली। यह खबर सामने आते ही देवबंदी उलेमा नाराज हो गए और इसे इस्लामी शरीयत के खिलाफ बताते हुए बयान जारी कर दिया कि सच्चे मुसलमान को ऐसी गैर-धार्मिक परंपराओं से दूर रहना चाहिए।
उलेमाओं का बयान:
- “होली खेलना इस्लामी शरीयत के खिलाफ है।”
- “इमरान मसूद को अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए।”
इमरान मसूद का पलटवार
उलेमाओं की नसीहत पर इमरान मसूद ने जवाब देते हुए कहा:
“ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह, इसके बाद किसी को कुछ कहने की जरूरत नहीं। यह मामला मेरे और अल्लाह के बीच का है।”
उन्होंने आगे कहा:
- “राजनीति में जो फैसले लेने होते हैं, वह मुझे खुद तय करने हैं।”
- “मुझे किसी धार्मिक संस्था या व्यक्ति के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं।”
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर बयान
राजनीति और धार्मिक मान्यताओं को लेकर छिड़ी इस बहस के बीच इमरान मसूद ने इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि “आतंकवाद किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
उनका बयान:
- “आतंकवादी चाहे किसी भी देश या संगठन से हों, उन्हें जीने का कोई हक नहीं।”
क्या धार्मिक मान्यताओं की सीमाएं तय कर सकती हैं स्वतंत्रता?
इमरान मसूद के इस बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है:
- क्या किसी की धार्मिक स्वतंत्रता को धार्मिक मान्यताओं के आधार पर सीमित किया जा सकता है?
- क्या कोई व्यक्ति धर्म की सीमाओं से परे जाकर सामाजिक समरसता में भाग नहीं ले सकता?
अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या प्रतिक्रियाएं आती हैं और यह मामला कितना तूल पकड़ता है।
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