चार माह से ताले में बंद है केंद्र, लाखों के निर्माण के बाद भी उपयोग शून्य
बॉर्डर न्यूज़ लाइव, महराजगंज
ठूठीबारी/महराजगंज। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित ठूठीबारी कोतवाली क्षेत्र के राजाबारी में चार माह पूर्व भव्य उद्घाटन के साथ शुरू किए गए पुलिस सहायता केंद्र की वर्तमान स्थिति विसंगतियों और प्रशासनिक लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन चुकी है। सीमाई क्षेत्र में सुरक्षा के मद्देनज़र बनाए गए इस केंद्र का आज तक ताला नहीं खुला है, और यह भवन अब खुद ही अपनी निगरानी का मोहताज हो गया है।
सीमा की सुरक्षा के नाम पर बना भवन खुद असुरक्षित
इस पुलिस सहायता केंद्र को नेपाल सीमा पर संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी, तस्करी पर नियंत्रण और अपराधियों की पहचान के उद्देश्य से बनाया गया था। लेकिन लोकार्पण के बाद से आज तक न तो किसी कर्मचारी की नियमित तैनाती हुई और न ही दरवाजा खोला गया। इस स्थिति ने न सिर्फ प्रशासनिक इच्छाशक्ति पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सीमाई सुरक्षा व्यवस्था की हकीकत भी उजागर कर दी है।
गंदगी और अव्यवस्था ने ली घेरेबंदी
केंद्र के चारों ओर फैली गंदगी यह साफ दर्शाती है कि न तो किसी स्तर से देखरेख हो रही है, और न ही इसकी निगरानी। लाखों रुपये खर्च कर तैयार किया गया भवन अब झाड़ियों, सूखे पौधों और कचरे के बीच उपेक्षा का प्रतीक बनकर खड़ा है। एक ओर जहां इस इलाके के लोग सीमा सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह बंद केंद्र विकास योजनाओं की सतही क्रियान्वयन शैली को उजागर करता है।
सीसीटीवी कैमरा खुद लगा रहा गुहार
जिस पुलिस सहायता केंद्र से सीमाई गतिविधियों पर नजर रखी जानी थी, उसी का सीसीटीवी कैमरा तार टूटकर लटकता दिखाई दे रहा है। यह स्थिति न सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि गंभीर सुरक्षा लापरवाही की ओर भी इशारा करती है। कैमरा आज तक उपयोग में नहीं लाया गया, और उसकी हालत यह बता रही है कि शायद कोई उसे देखने वाला ही नहीं है।
स्थानीय लोगों में नाराजगी, उठ रहे सवाल
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि “अगर उद्घाटन के बाद भी केंद्र शुरू नहीं किया जाना था तो इतने खर्च की क्या आवश्यकता थी?” सीमाई क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों की आशाएं इस केंद्र से जुड़ी थीं, लेकिन अब यह भवन एक दिखावटी उद्घाटन कार्यक्रम की याद मात्र बनकर रह गया है।
प्रशासनिक चुप्पी बनी रहस्य
इस पूरे मामले पर स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। न तो कोतवाली स्तर से कोई तैनाती की पुष्टि की गई है, और न ही सीसीटीवी कैमरे की मरम्मत या संचालन के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
“राजाबारी का यह पुलिस सहायता केंद्र अब सवालों का केंद्र बन चुका है। क्या सीमाई क्षेत्र की सुरक्षा केवल उद्घाटन समारोहों तक सीमित रह गई है? क्या जनसुरक्षा के नाम पर किए जा रहे निर्माण केवल बजट खर्च करने की औपचारिकता बनकर रह गए हैं?”
प्रशासन को चाहिए कि वह इस केंद्र को शीघ्र संचालित कर जनविश्वास और सुरक्षा व्यवस्था दोनों को मजबूत करे।