भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए उक्त प्रोजक्ट का साइन बोर्ड तक नहीं लगवाया है ठेकेदार द्वारा
बॉर्डर न्यूज़ लाइव, महाराजगंज
उत्तर प्रदेश में विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं, जिससे सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में, भरवलिया से लक्ष्मीपुर खुर्द को जोड़ने के लिए बनाए जा रहे 2.6 किमी लिंक मार्ग का निर्माण कार्य सवालों के घेरे में आ गया है। इस सड़क का निर्माण करोड़ों रुपये की लागत से हो रहा है, लेकिन ठेकेदार द्वारा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। मिट्टी पर गिट्टी डालकर की जा रही इस सड़क का निर्माण न केवल भ्रष्टाचार का उदाहरण है, बल्कि इसकी गुणवत्ता और टिकाऊपन भी संदेह के घेरे में है, विशेष रूप से उस क्षेत्र में जहां हर साल बाढ़ की तबाही होती है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में घटिया निर्माण से लोगों में आक्रोश
यह सड़क ऐसे क्षेत्र में बनाई जा रही है जो बाढ़ प्रभावित है। हर साल इस क्षेत्र में बाढ़ का पानी आता है और फसलों के साथ-साथ संरचनात्मक क्षति भी होती है। इस इलाके की ज़मीन को सड़क निर्माण के लिए अत्यधिक मजबूत और टिकाऊ सामग्री की आवश्यकता होती है। लेकिन ठेकेदार ने बिना उचित साफ-सफाई और भूमि समतलीकरण के मिट्टी पर ही गिट्टी डालकर सड़क का निर्माण शुरू कर दिया है।
इस तरह के मानकविहीन निर्माण से यह सवाल उठता है कि यह सड़क बाढ़ के पानी और दबाव को कितने समय तक झेल पाएगी? क्षेत्र के स्थानीय निवासियों का कहना है कि जिस तरह से निर्माण हो रहा है, उससे यह सड़क लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी और बाढ़ के पहले ही बह जाएगी।
घटिया निर्माण से बढ़ी चिंता
स्थानीय लोग चिंतित हैं कि यह सड़क बाढ़ के समय पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी, क्योंकि जिस तरह से गिट्टी डाली गई है, वह न तो टिकाऊ है और न ही स्थायी। इस सड़क के निर्माण में जिस सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह बाढ़ जैसे गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है।
लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में हर साल बाढ़ के कारण सड़कें टूट जाती हैं, जिससे आवाजाही बाधित होती है। यदि इस बार भी इसी प्रकार का घटिया निर्माण किया गया, तो सड़क जल्द ही बर्बाद हो जाएगी, और करोड़ों रुपये की लागत से बनाया गया यह प्रोजेक्ट ध्वस्त हो जाएगा।
ठेकेदार की मनमानी
जब ठेकेदार से इस मुद्दे पर बात की गई और निर्माण की लागत के बारे में जानकारी चाही गई, तो उन्होंने किसी भी प्रकार की जानकारी देने से इनकार कर दिया। यह ठेकेदार की मनमानी और गैरजिम्मेदार रवैये को दर्शाता है। जब उनसे अवर अभियंता का नंबर मांगा गया, तो ठेकेदार ने जानबूझकर किसी अन्य अवर अभियंता का नंबर देकर गुमराह किया।
जब ठेकेदार द्वारा दिए गए अवर अभियंता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि वे इस प्रोजेक्ट से जुड़े नहीं हैं, और इसका जिम्मा किसी और अधिकारी का है। इससे यह साफ हो गया कि ठेकेदार और अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी है और कोई भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
अवर अभियंता की चुप्पी और अधिकारियों की जवाबदेही
जब संबंधित अवर अभियंता से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने नंबर देने से इनकार कर दिया और डिविजन ऑफिस से संपर्क करने की सलाह दी। यह स्थिति दर्शाती है कि अधिकारी और ठेकेदार किस प्रकार से एक दूसरे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
अवर अभियंता की चुप्पी और ठेकेदार की गैरजिम्मेदारी ने परियोजना की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी परियोजनाओं में इस प्रकार का रवैया भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है और जनता के हितों की अनदेखी करता है।
साइन बोर्ड का न होना: एक और गंभीर मुद्दा
इतना ही नहीं, निर्माण स्थल पर साइन बोर्ड का न होना एक और गंभीर मामला है। यह साइन बोर्ड निर्माण परियोजना की जानकारी देने के लिए आवश्यक होता है, जिसमें सड़क की लागत, निर्माण की अवधि, और ठेकेदार की जानकारी शामिल होनी चाहिए। साइन बोर्ड की अनुपस्थिति से यह स्पष्ट होता है कि इस परियोजना में पारदर्शिता का अभाव है और ठेकेदार अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
सड़क की गुणवत्ता पर सवाल
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क का निर्माण पटरी तक नहीं किया जा रहा है। इससे न केवल सड़क की मजबूती पर सवाल खड़ा होता है, बल्कि यह भी साफ है कि सड़क बाढ़ के पानी से ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएगी। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि आखिर यह सड़क कितने दिन टिकेगी?
स्थानीय लोगों का कहना है कि ठेकेदार ने निर्माण सामग्री की गुणवत्ता को नजरअंदाज किया है और मानकों का पालन नहीं किया गया है। इससे सड़क की उम्र कम हो जाएगी और बाढ़ के समय यह जल्द ही नष्ट हो जाएगी।
योगी सरकार की नसीहत
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कई बार सरकारी परियोजनाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी की बात कही है। सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि विकास कार्यों में किसी भी प्रकार की अनियमितता और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन इस मामले में ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से यह साफ हो गया है कि सरकार की नसीहत को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
सरकार को चाहिए कि इस मामले की तुरंत जांच करवाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इस प्रकार की घटनाएँ न केवल सरकारी खजाने का नुकसान करती हैं, बल्कि जनता के हितों को भी नुकसान पहुंचाती हैं।
भरवलिया से लक्ष्मीपुर खुर्द लिंक मार्ग का निर्माण कार्य न केवल भ्रष्टाचार का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे सरकारी परियोजनाओं में पारदर्शिता की कमी होती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर सड़क का निर्माण करना न केवल पैसे की बर्बादी है, बल्कि जनता की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ है।
योगी सरकार की नसीहत के बावजूद, इस मामले में ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से यह स्पष्ट हो गया है कि भ्रष्टाचार पर कड़ा नियंत्रण लगाने की जरूरत है। जनता का यह अधिकार है कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण विकास कार्य मिले, और इसके लिए पारदर्शिता और ईमानदारी आवश्यक है।
इस प्रकार के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कानून और उनकी प्रभावी निगरानी आवश्यक है। जब तक इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया जाएगा, तब तक विकास कार्यों में जनता का भरोसा कम होता जाएगा और सरकारी योजनाओं का उद्देश्य विफल होता रहेगा।