बॉर्डर न्यूज़ लाइव, महराजगंज
महराजगंज। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पात्र लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होने की संभावना है। प्रशासन द्वारा किए जा रहे ऑनलाइन सर्वे के बाद सत्यापन और जांच में सख्ती बरती जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि यदि पूरी पारदर्शिता से जांच की गई, तो 60 से 70 प्रतिशत लाभार्थी अपात्र घोषित किए जा सकते हैं। बड़ी संख्या में ऐसे लोग सामने आ रहे हैं, जिन्होंने तथ्यों को छिपाकर या ग्राम सचिव व लेखपाल की मिलीभगत से अपना नाम सूची में शामिल करवा लिया है।
योजना का उद्देश्य और ऑनलाइन सर्वे की स्थिति
प्रधानमंत्री आवास योजना का मुख्य उद्देश्य गांवों में रहने वाले बेघर और कच्चे मकान में रहने वाले गरीब परिवारों को स्थायी आवास उपलब्ध कराना है। आवास प्लस 2024 के तहत यह ऑनलाइन सर्वे जनवरी 2024 से जारी है और इसे 31 मार्च 2025 तक पूरा किया जाना है। सरकार का लक्ष्य है कि 2025-26 से 2029 तक सभी पात्र परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराए जाएं।
ऑनलाइन सर्वे में संभावित धांधली
इस सर्वेक्षण में जिले की 882 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है, जिसमें 307 ग्राम पंचायत सचिव और लेखपालों को नामित किया गया है। पात्रता जांच के लिए “एसेट ऑप्शन” का उपयोग किया जा रहा है, जबकि “सेल्फ सर्वे ऑप्शन” के माध्यम से लोग स्वयं जानकारी भर रहे हैं। लेकिन यह सुविधा गड़बड़ियों का कारण बन रही है।
गांवों में सच्चाई यह है कि मुश्किल से 5 से 10 घर ही कच्चे मकान में रहने वाले होते हैं, लेकिन कई पक्का मकान वाले भी सर्वे में पात्र घोषित होने की कोशिश कर रहे हैं। सत्यापन के दौरान बड़ी संख्या में लाभार्थियों को अपात्र घोषित किए जाने की संभावना है।
बदलते मानक और बढ़ती सख्ती
सरकार ने पात्रता के मानकों को सख्त कर दिया है, ताकि केवल वास्तविक जरूरतमंदों को ही लाभ मिल सके। नई अपात्रता सूची के अनुसार—
पक्का मकान वाले अब योजना का लाभ नहीं उठा सकेंगे।
मोटरयुक्त तिपहिया या चौपहिया वाहन, मशीनी कृषि उपकरण वाले अपात्र माने जाएंगे।
₹50,000 या अधिक ऋण सीमा वाले किसान क्रेडिट कार्ड धारक योजना से बाहर होंगे।
सरकारी व गैर-सरकारी कर्मचारी, ₹15,000 से अधिक मासिक आय वाले, आयकर या व्यवसाय कर देने वाले परिवार इस योजना के पात्र नहीं होंगे।
2.5 एकड़ या अधिक सिंचित भूमि तथा 5 एकड़ से अधिक असिंचित भूमि रखने वाले किसान अपात्र माने जाएंगे।
एआई तकनीक से फर्जी लाभार्थियों की पहचान
इस बार योजना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है। इसके तहत—
सरकारी भूमि रिकॉर्ड में लाभार्थियों की जानकारी जांची जाएगी।
डिजिटल सर्वे और जियो-टैगिंग के जरिए यह पुष्टि होगी कि मकान वास्तव में कच्चा है या नहीं।
यदि कोई व्यक्ति पहले से पक्के मकान का मालिक पाया गया, तो उसे तत्काल अपात्र घोषित कर दिया जाएगा।
सख्त जांच और पारदर्शिता का संकल्प
प्रधानमंत्री आवास योजना में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। परियोजना निदेशक (PD, DRDA) रामदरश चौधरी ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति झूठी जानकारी देकर योजना का लाभ लेने की कोशिश करेगा, तो उसे सूची से बाहर कर दिया जाएगा।
सरकार ने 31 मार्च 2025 की अंतिम तिथि तय की है, ताकि सर्वेक्षण पूरी तरह निष्पक्ष हो। इसके बाद लाभार्थियों की अंतिम सूची जारी होगी, जिसमें केवल पात्र व्यक्तियों के नाम रहेंगे। फर्जी आवेदनों को रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है।