क्रमशः दो लोकसभा चुनावों में भाजपा का मतदान प्रतिशत में आ रही गिरावट
बॉर्डर न्यूज़ लाइव (देवरिया)
देवरिया। उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिले कम सीट के बावजूद कुछ प्रत्याशियों ने अपने अपने दमखम व मोदी व योगी के भरोसे वाले स्लोगन पर बाजी मार ली जिसमे देवरिया जिले में भाजपा प्रत्याशी शशांक मणि ने भी कमल खिलाया, लेकिन जनता का पूरी तरह से भरोसा जीत पाने में नाकामयाब रहे। यह पिछले दो चुनाव के आंकड़े बता रहे हैं।
वर्ष 2009 में इस बार विजयी भाजपा प्रत्याशी शशांक मणि के पिता श्रीप्रकाश मणि चुनावी मैदान में पूरी दमखम के साथ उतरे थे, लेकिन भाजपा को विजयश्री नहीं दिला पाए थे। उस चुनाव में बसपा प्रत्याशी गोरख प्रसाद जायसवाल ने उन्हें पटखनी दी थी। उस समय बसपा का मतदान प्रतिशत 30.73 रहा था। बसपा प्रत्याशी गोरख प्रसाद जायसवाल को 2 लाख 31 हजार 114 मत मिले थे। तीसरे नंबर पर सपा थी। उसे 21.16 प्रतिशत मत मिले थे। सपा से मोहन सिंह को 1 लाख 51 हजार 390 मत मिले थे। वहीं, भाजपा का मतदान प्रतिशत 24.89 पर ही सिमट गया था। इसके बाद वर्ष 2014 में भाजपा ने कलराज मिश्र को देवरिया का प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा। कलराज मिश्र जनता के विश्वास पर खरे उतरे। इस चुनाव में उन्हें 51.07 प्रतिशत मत मिले थे। भाजपा के कलराज मिश्र को 4 लाख 96 हजार 500 मत मिले थे। यह बीते चुनाव से 26.18 प्लस था।
इसी तरह बसपा प्रत्याशी नियाज अहमद को 23.77 प्रतिशत मत मिले। उन्हें 2 लाख 31 हजार 114 मत मिले थे। सपा के बालेश्वर यादव का मत प्रतिशत 15.52 रहा। उन्हें 1 लाख 50 हजार 822 मत मिले थे।
वर्ष 2019 में भाजपा ने अपने मतदान प्रतिशत में काफी सुधार किया। भाजपा ने कलराज मिश्र की जगह इस बार रमापति राम त्रिपाठी को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी समर में उतारा था। उन्होंने जिले की करीब 57.19 प्रतिशत जनता का भरोसा जीता था। इस चुनाव में उन्हें रिकॉर्ड 5 लाख 80 हजार 644 मत मिले थे।
इसी तरह बसपा व सपा गठबंधन प्रत्याशी विनोद कुमार जायसवाल को 32.57 प्रतिशत मत मिले थे। बसपा के विनोद कुमार जायसवाल को 3 लाख 30 हजार 713 मत मिले थे। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी नियाज अहमद को 5.03 प्रतिशत मत मिले थे। उन्हें 51,056 मत मिले थे।
इस वर्ष 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की। यहां की जनता की मांग पर बाहरी प्रत्याशी की जगह वर्ष 1996 व 1999 में जिले के सांसद रहे श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि को प्रत्याशी बनाकर भेजा। समाजसेवी के रूप में प्रख्यात शशांक ने जिले में पूरे दमखम के साथ प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को करीब 34 हजार अधिक मतों से पटखनी भी दी। लेकिन, जनता पर अपना विश्वास नहीं बना सके। इस बार भाजपा का मतदान प्रतिशत पिछले दो चुनावों से काफी कम रहा। इस बार चुनाव प्रतिशत देखा जाए तो 48.36 ही रहा, जो कांग्रेस प्रत्याशी से महज 45.02 से 3.24 प्रतिशत अधिक रहा है।
इस लोकसभा चुनाव का मतदान प्रतिशत देख कर यही लगा कि जनता का झुकाव कांग्रेस प्रत्याशी अखिलेश सिंह के प्रति ज्यादा रहा है। जिले में अब तक विपक्षी खेमे को जनता ने इतना नहीं पसंद किया था, जितना अखिलेश प्रताप सिंह को किया।