लोकसभा चुनाव आते आते पूरी तरह से दरक गई
बॉर्डर न्यूज़ लाइव (अयोध्या)
अयोध्या/उत्तर प्रदेश। लोकसभ चुनाव में उत्तर प्रदेश से निकले परिणाम से सभी हैरान है वही सबसे बड़ी हैरानी फैजाबाद लोकसभा सीट के चुनाव परिणाम से है। सूत्रों की माने तो भाजपा की सियासी जमीन यहां वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में ही दरक चुकी थी। वह 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते पूरी तरह खिसक गई। इस सीट पर आए परिणाम ने हिंदुत्व के समर्थकों को चिंता में जरूर डाल दिया है, लेकिन भाजपा ने समय रहते उन परिणामों से सबक लिया होता तो शायद पार्टी को इस बार जोर का झटका न लगता। 2022 के चुनाव में भाजपा ने जिले के पांच विधानसभा सीटों में से दो गंवा दी थीं। बावजूद इसके भाजपा सजग नहीं हुई, जिसका बुरा परिणाम 2024 में सबके सामने है।
पूरी बात को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार 2017 में आई तो उन्होंने अयोध्या को नगर निगम का दर्जा दिया। उस समय अयोध्या की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को शानदार जीत मिली। इसके बाद 2019 में राम मंदिर के हक में निर्णय आया। पांच अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन भी हुआ। अयोध्या के विकास का खाका खींचा गया और यहां ताबड़तोड़ निर्माण कार्य शुरू हो गए। इसके दो साल बाद विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा को अच्छे परिणाम की उम्मीद थी, लेकिन तब भी नतीजे चौंकाने वाले रहे। 2022 के चुनाव में अयोध्या जिले की पांच में से दो विधानसभा सीटें क्रमशः गोसाईगंज और मिल्कीपुर सीट भाजपा जीत नहीं सकी। इन्हें समाजवादी पार्टी ने छीन लीं। जिस विधानसभा में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, वहां भी भाजपा कड़े संघर्ष में जीती थी। अब 2024 के चौंकाने वाले परिणाम की हर कोई समीक्षा कर रहा है। भाजपा की इस हार के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। इस बात की वजह भी तलाशी जा रही है कि 2017 और 2019 में शानदार जीत के बाद ऐसा क्या हुआ कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को दो सीटें गंवानी पड़ीं। बताया जाता है कि अति उत्साह के भंवर में फंसी भाजपा ने उस दौर की हार की उचित समीक्षा नहीं की। पार्टी के नीति नियंता दो साल पहले के परिणामों से भाजपा की सियासी जमीन दरकने के संकेत समझ नहीं सके। राजनीति के जानकारों का कहना है कि दरकती जमीन के संकेत भाजपा को लगातार मिल रहे थे, लेकिन हिंदुत्व के रथ पर सवार भाजपा ने स्थानीय मुद्दों और मसलों को दरकिनार किया। इसी का परिणाम अबकी सामने आया। इस बाबत कमलेश श्रीवास्तव महानगर अध्यक्ष (भाजपा) ने कहा कि जनता ने जो जनादेश दिया है, वह स्वीकार है। हमें इस तरह के परिणाम की उम्मीद नहीं थी। चुनाव को लेकर कड़ी तैयारी की गई थी। लोकसभा क्षेत्र के सभी बूथों पर कितने वोट पड़े हैं, इसकी सूची बनाई जा रही है। इसके बाद परिणाम की समीक्षा की जाएगी। बूथ मैनेजमेंट में कहां चूक रह गई इसकी समीक्षा की जाएगी।
पूरी बात को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार 2017 में आई तो उन्होंने अयोध्या को नगर निगम का दर्जा दिया। उस समय अयोध्या की सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को शानदार जीत मिली। इसके बाद 2019 में राम मंदिर के हक में निर्णय आया। पांच अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन भी हुआ। अयोध्या के विकास का खाका खींचा गया और यहां ताबड़तोड़ निर्माण कार्य शुरू हो गए। इसके दो साल बाद विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा को अच्छे परिणाम की उम्मीद थी, लेकिन तब भी नतीजे चौंकाने वाले रहे। 2022 के चुनाव में अयोध्या जिले की पांच में से दो विधानसभा सीटें क्रमशः गोसाईगंज और मिल्कीपुर सीट भाजपा जीत नहीं सकी। इन्हें समाजवादी पार्टी ने छीन लीं। जिस विधानसभा में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, वहां भी भाजपा कड़े संघर्ष में जीती थी। अब 2024 के चौंकाने वाले परिणाम की हर कोई समीक्षा कर रहा है। भाजपा की इस हार के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। इस बात की वजह भी तलाशी जा रही है कि 2017 और 2019 में शानदार जीत के बाद ऐसा क्या हुआ कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को दो सीटें गंवानी पड़ीं। बताया जाता है कि अति उत्साह के भंवर में फंसी भाजपा ने उस दौर की हार की उचित समीक्षा नहीं की। पार्टी के नीति नियंता दो साल पहले के परिणामों से भाजपा की सियासी जमीन दरकने के संकेत समझ नहीं सके। राजनीति के जानकारों का कहना है कि दरकती जमीन के संकेत भाजपा को लगातार मिल रहे थे, लेकिन हिंदुत्व के रथ पर सवार भाजपा ने स्थानीय मुद्दों और मसलों को दरकिनार किया। इसी का परिणाम अबकी सामने आया। इस बाबत कमलेश श्रीवास्तव महानगर अध्यक्ष (भाजपा) ने कहा कि जनता ने जो जनादेश दिया है, वह स्वीकार है। हमें इस तरह के परिणाम की उम्मीद नहीं थी। चुनाव को लेकर कड़ी तैयारी की गई थी। लोकसभा क्षेत्र के सभी बूथों पर कितने वोट पड़े हैं, इसकी सूची बनाई जा रही है। इसके बाद परिणाम की समीक्षा की जाएगी। बूथ मैनेजमेंट में कहां चूक रह गई इसकी समीक्षा की जाएगी।
