
हाथरस/उत्तर प्रदेश। हाथरस भगदड़ मामले में एक नए मोड़ के तहत मैनपुरी पुलिस ने अचानक आधी रात को सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के आश्रम पर छापेमारी की। इस दौरान एसपी सिटी और सीओ भोगांव समेत पुलिस टीम आश्रम में पहुंची। पुलिस टीम आश्रम के अंदर करीब 1 घंटे से ज्यादा समय तक रही, लेकिन बाहर आने पर उन्होंने कहा कि वे सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था देखने आए थे। बाबा अंदर नहीं थे, लेकिन 50 से 60 महिला और पुरुष श्रद्धालु आश्रम में मौजूद थे, जो अक्सर यहां आते रहते हैं।
जब पुलिस से सवाल किया गया कि वे हाथरस कांड में नामजद आरोपी की तलाश के लिए आए थे या बाबा से पूछताछ के लिए, तो पुलिस ने इसे सिरे से नकार दिया। इस देर रात की छापेमारी और आश्रम में एक घंटे से ज्यादा रुकने की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद से ही बाबा के आश्रम पर चारों तरफ पुलिस की पहरेदारी है। ऐसे में आधी रात को पुलिस द्वारा सुरक्षा का जायजा लेने की बात संदेहास्पद लगती है। पुलिस ने माना कि आश्रम में महिला श्रद्धालु भी थीं, लेकिन पुलिस टीम में कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं थी।
हाथरस कांड में दर्ज एफआईआर में पुलिस ने लिखा है कि बाबा के सुरक्षा गार्ड्स ने पब्लिक को धक्का मारना शुरू किया, जिससे भगदड़ मच गई। यह संदेह बढ़ता है कि पुलिस टीम बाबा की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ या गिरफ्तारी के लिए आई थी।
साल 2000 में बाबा की गिरफ्तारी:
सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा को आगरा में साल 2000 में गिरफ्तार किया गया था। दिसंबर 2000 में मामले में एफआर लग चुकी है। सूरजपाल सहित 7 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, लेकिन साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से सबको बरी कर दिया गया था। साकार हरि उर्फ सूरजपाल भोले बाबा की कोई संतान नहीं थी। एक बच्ची को बाबा ने गोद लिया था, जो कैंसर से पीड़ित थी। बच्ची की अचानक मौत हो गई थी और उनके अनुयायी बाबा से उसे जिंदा करने की उम्मीद कर रहे थे। इस घटना के बाद पुलिस ने अनुयायियों पर लाठीचार्ज किया और बाबा को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को कोर्ट से बरी कर दिया गया था।