सरकारी आदेश फाइलों में कैद, गड़ौरा पीएचसी बना शो-पीस – स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
बॉर्डर न्यूज़ लाइव, महराजगंज
उत्तर प्रदेश सरकार एक ओर स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए रिकॉर्ड बजट, तकनीकी संसाधन और मानव संसाधन की व्यवस्था कर रही है, वहीं दूसरी ओर महराजगंज जिले के जिम्मेदार अफसर ही उस मंशा को धूल चटाने में लगे हैं। जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गड़ौरा का मामला इसका जीवंत उदाहरण बन गया है, जहां शासन के स्पष्ट निर्देश के बावजूद स्वास्थ्य सेवा का एक अदद फार्मासिस्ट तक नहीं है, और दर्जनों गांवों की आबादी स्वास्थ्य सेवा से वंचित है।
मुख्य चिकित्साधिकारी, महराजगंज द्वारा पत्रांक संख्या 20/2025-26, दिनांक 16 अप्रैल 2025 को अधीक्षक निचलौल को फार्मासिस्ट मधुरेन्द्र त्रिपाठी की तैनाती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गड़ौरा पर सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए थे। इसके साथ ही आदेश की प्रतिलिपि निदेशक (पैरामेडिकल), महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश लखनऊ, जिलाधिकारी महराजगंज, अपर निदेशक गोरखपुर मंडल, वित्त एवं लेखाधिकारी तथा संबंधित अधीक्षकों एवं फार्मासिस्ट तक भेजी गई। यही नहीं, आदेश को अधिष्ठान लिपिक व गार्ड फाइल में दर्ज कराने के भी निर्देश दिए गए थे।
फिर भी न फार्मासिस्ट पहुंचा, न सेवाएं चालू हो सकीं। यह दर्शाता है कि सीएमओ स्तर के आदेश भी आज जिले में महज औपचारिकता बनकर रह गए हैं। फार्मासिस्ट श्री त्रिपाठी को आज तक कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया है। नतीजतन गड़ौरा पीएचसी एक निष्क्रिय भवन बन कर रह गई है। यह केंद्र स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर एक ‘हाथी का दांत’ बन गया है, जो दिखने में तो है, पर काम का नहीं।
स्थिति की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब यह पता चलता है कि ठूठीबारी सीएचसी पर तैनात एकमात्र फार्मासिस्ट को न सिर्फ वहाँ की जिम्मेदारी दी गई है, बल्कि उसे तीन-तीन अलग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की ड्यूटी भी सौंपी गई है। इससे न केवल कार्यक्षमता पर असर पड़ रहा है, बल्कि आमजन के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं एक ‘भाग्य की बात’ बन गई हैं।
राज्य सरकार, विशेष रूप से उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक लगातार प्रदेश के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त और सुलभ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनके नेतृत्व में जहां एक ओर करोड़ों की लागत से भवन निर्माण, आरओ प्लांट, डाक्टरों की तैनाती, मोबाइल मेडिकल यूनिट्स, और दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है, वहीं दूसरी ओर जिला स्तर पर अफसरशाही की लापरवाही इन सभी प्रयासों पर पानी फेर रही है।
गड़ौरा पीएचसी पर फार्मासिस्ट व डॉक्टर की तैनाती न होने से क्षेत्र के दर्जनों गांवों के ग्रामीण भरी गर्मी में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भटकने को मजबूर हैं। यह न केवल स्वास्थ्य अधिकारों का उल्लंघन है बल्कि राज्य सरकार की छवि को भी धूमिल कर रहा है।
सरकार की मंशा स्पष्ट है “हर गांव, हर व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाना”। पर जब जिलास्तरीय अधिकारी ही आदेशों को नजरअंदाज करें, तो यह न केवल शासन की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है, बल्कि लोकतंत्र की प्रशासनिक जवाबदेही पर भी। अब आवश्यकता है कि शासन इस मामले को गंभीरता से लेकर तत्काल प्रभाव से फार्मासिस्ट की तैनाती सुनिश्चित कराए और गड़ौरा पीएचसी को क्रियाशील बनाए।
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Arnavutköy Mahalleleri: Ataşehir’de su kaçağı tespiti için çağırdık. Yaptıkları işten çok memnun kaldım. https://www.haberim.istanbul/firma-rehberi/uskudar-su-tesisatcisi-43