न पानी, न वेतन, न स्टाफ – शासन की मंशा पर स्वास्थ्य महकमा फेर रहा पानी, आखिर कब तक चलेगी मनमानी?
बॉर्डर न्यूज़ लाइव, महराजगंज
ठूठीबारी/महराजगंज। एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता बताकर प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर महराजगंज जनपद का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठूठीबारी आज खुद इलाज का मोहताज बन चुका है। न तो पानी की सुविधा है, न चिकित्सीय उपकरणों का संचालन, और न ही नियमित स्टाफ की उपलब्धता। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इस बदहाल व्यवस्था की सुध कौन लेगा?
प्यास से जूझता अस्पताल परिसर, नल सूखा, हैंडपंप ठप
ओवरहेड टैंक से पेयजल आपूर्ति पूरी तरह से ठप है, और परिसर में लगा इण्डिया मार्का हैंडपंप भी खराब पड़ा है। मरीज, उनके परिजन, और यहां तक कि अस्पताल स्टाफ भी एक-एक बूंद पानी को तरस रहे हैं। भीषण गर्मी में पीने का पानी तक न मिलना गंभीर स्वास्थ्य संकट को जन्म दे सकता है।
स्टाफ नदारद, सेवाएं चरमराईं
यहां तैनात नर्सें और वार्ड ब्वाय या तो अनुपस्थित हैं या उन्हें दूसरे केंद्रों पर अटैच कर दिया गया है। वार्ड ब्वाय को निचलौल भेज दिया गया है, और तैनात नर्स मात्र दो दिन उपस्थिति दर्ज कर गायब हो चुकी हैं। नतीजतन, ड्रेसिंग, सलाइन, बच्चों का टीकाकरण, और सामान्य देखरेख जैसे प्राथमिक कार्य भी ठप हैं।
पाँच महीने से नहीं मिला वेतन, भुखमरी की कगार पर कर्मचारी
सीएचसी में कार्यरत कर्मी लक्ष्मीना, अजय, उदयभान, होरिल और नाजरीन बीते पाँच महीने से वेतन नहीं पाए हैं। इनका कहना है कि रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया है। कई कर्मचारी कर्ज लेकर जीवन यापन कर रहे हैं।
“घर चलाना मुश्किल हो गया है, बच्चों की फीस तक जमा नहीं कर पा रहे हैं। रोज काम करते हैं, लेकिन वेतन कब मिलेगा कोई नहीं बताता।” – एक पीड़ित कर्मचारी
उपकरण हैं, लेकिन संचालन ठप – संसाधन बन गए शो-पीस
सीएचसी परिसर में अल्ट्रासाउंड मशीन, दन्त चिकित्सा उपकरण जैसे आधुनिक संसाधन वर्षों से मौजूद हैं, लेकिन उनका न तो संचालन हो रहा है, न ही प्रशिक्षित कर्मचारी तैनात हैं। इन महंगे उपकरणों की धूल फांकते तस्वीरें शासन के दावों की पोल खोलती हैं।
अधीक्षक का असंवेदनशील रवैया, शिकायतों पर चुप्पी
सीएचसी अधीक्षक डॉ. उमेश सिंह पर कर्मचारियों ने बेरुखी और संवेदनहीनता का आरोप लगाया है। उनका रवैया इतना लापरवाह बताया जा रहा है कि कर्मियों की वेतन संबंधी बातों को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। जब पूरे अस्पताल का संचालन ही अधर में हो, ऐसे में अधीक्षक की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है।
सीएमओ से की गई शिकायत, लेकिन अभी तक इंतजार ही इंतजार
सीएमओ महराजगंज डॉ. श्रीकांत शर्मा से इस संबंध में शिकायत की गई, जिसके बाद उन्होंने जल्द सुधार का आश्वासन जरूर दिया, लेकिन अब तक जमीनी स्तर पर कोई कार्यवाही दिखाई नहीं दे रही। आश्वासनों के भरोसे ही अस्पताल की सांसें चल रही हैं।
शासन की नीतियों पर सवाल, पारदर्शिता की खुली पोल
प्रदेश सरकार बार-बार पारदर्शी और संवेदनशील प्रशासन का दावा करती है, लेकिन महराजगंज का स्वास्थ्य महकमा इन दावों को धता बता रहा है। संसाधनों और स्टाफ की भारी कमी ने सरकार की मंशा पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
क्या सरकार लेगी संज्ञान? या ठूठीबारी का ये अस्पताल ऐसे ही दम तोड़ता रहेगा?
अब देखना यह है कि क्या शासन-प्रशासन इस उपेक्षित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर ध्यान देगा या फिर ठूठीबारी की जनता को ऐसे ही बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझते रहना होगा। यह सिर्फ एक अस्पताल की बात नहीं, बल्कि गांव-देहात में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत का आईना है।