ना डिग्री ना अनुभव फिर भी मुन्ना भाई कर रहे मरीजों का इलाज
अमरोहा जनपद में कुकुरमुत्ता की तरह फ़ैल रहा फर्जी अस्पताल
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, उत्तर प्रदेश (संपादक अरुण वर्मा)
अमरोहा/उत्तर प्रदेश। भगवान के बाद अगर इंसान के लिए कोई दूसरा भगवान है तो वह है धरती का डाक्टर पर पेशे की आंड में फर्जी अस्पताल व मुन्ना भाई डाक्टरों ने इस पवित्र पेशे को बदनाम कर के रख दिया है। न डिग्री ना अनुभव फिर भी शर्तिया इलाज का दावा करने वाले इन फर्जी अस्पतालों में नामी गिरामी डाक्टरों का संक्षेप में नाम लिख क्षेत्रवासियों को अपनी तरफ प्रभावित करते है। जबकि उन डाक्टरों का उक्त अस्पताल में अता पता ही नहीं चलता। विभागीय संरक्षण में चल रहे इस गोरखधंधे से हजारों मरीज व उनके परिजन जान जोखिम में डाल इलाज कराने के लिए मजबूर दिख रहे है।हम बात करने जा रहे है उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा की पूर्वांचल राज्य की टीम दिन गुरुवार को जब एक पड़ताल के लिए अमरोहा स्थित मेरठ हेल्थ केयर व जच्चा बच्चा केंद्र की जो स्थिति देखीगई वह हैरान कर देने वाली थी। अस्पताल में साफ़ सफाई के अभाव के साथ संसाधनों का आभाव देखा गया वही कई मुन्ना भाई मरीजों का इलाज करते पाए गए यहाँ तक कि समबन्धित संवाददाता खुद मरीज बन अपना जब इलाज शुरू कार्य तो सच्चाई सामने आई कि उक्त अस्पताल का स्वास्थ्य विभाग में रजिष्ट्रेशन तक नहीं कराया गया वही दूसरी तरफ बिना रजिष्ट्रेशन के अस्पताल के मुख्य गेट पर ही मेडिकल की दूकान भी खोल दी गई है। जो दवाए औने पौने दाम पर मिल जाया करती उनकी कीमत सैकड़ो हजारो में वसूल की जाती देखी गई। इस अस्पताल का मुख्य धंधा भ्रूण हत्या का है मोटी कमाई के चलते स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देश की धज्जी उड़ाते हुए इस अस्पताल में चेकिंग के बहाने अल्ट्रासाउंड किया जाता और जांच में अगर कन्या निकलती तो उसकी हत्या करा देने कि बात चर्चा में है। जब इस बाबत उक्त अस्पताल के संचालक अज़ीम जी से बात की गई तो उन्होंने खुद को डाक्टर के साथ साथ अपने को पत्रकार भी बताया और सत्ता पक्ष का हांक दिखाते हुए संवाददाता को देख लेने की बात कही। अब ऐसे में सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या देश के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले कलमकार अपनी पत्रकारिता धमकी के कारण छोड़ दे या स्वछंद पत्रकारिता के लिए विभाग व सरकार पत्रकारों को संरक्षण देगी। इस बावत जब अमरोहा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर एस पी सिंह से बात कि गई तो उनका कहना था कि उक्त अस्पताल की जांच करा कार्यवाही की जाएगी अगर बिना रजिष्ट्रेशन के अस्पताल संचालित किया जा रहा तो उसपर क़ानूनी कार्यवाही भी कराई जाएगी। वही अस्पताल के संचालक अज़ीम जी ने बताया कि अस्पताल के रजिष्ट्रेशन हेतु आवेदन किया जा चूका है पर अभी फ़ाइल मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में पेंडिंग पड़ी है। अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि इतने पुराने अस्पताल का अब तक स्वस्थ्य विभाग के द्वारा रजिष्ट्रेशन तक नहीं किया गया जो हैरान कर देने वाली है। अब स्वास्थ्य महकमा इस पर क्या कार्यवाही करती है यह तो आने वाला समय बतायेगा।
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