पितृ पक्ष में पितरों के तर्पण और मोक्ष के लिए गृहस्थ गयाधाम जा किया करते है पिंडदान
न्यूज़ डेस्क ठूठीबारी …(धर्मेन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट)
पितरों के तर्पण और आत्म शांति के लिये गृहस्थ लोगों का लगातार गयाधाम जाना लगा हुआ है। गयाधाम जाकर लोग अपने पितरों का तर्पण करते है। ऐसी मान्यता है कि पितरों के तर्पण कर देने से पूर्वजों की आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है। इसी क्रम में ठूठीबारी भाजपा नगर अध्यक्ष लखीचंद जायसवाल धूमधाम और गाजे बाजे के साथ पिंडदान के लिए 13 सितम्बर को गयाधाम के लिए रवाना हुए | उनके साथ उनके परिवार के सभी सदस्य व मोहल्ले के लोग मंदिरों में दर्शन करा उन्हें बड़े ही श्रद्धा के साथ गयाधाम के लिए रवाना किये |

इस समय पितृपक्ष चल रहा है। देवी पक्ष के आरंभ अर्थात महालया के शुरू होते ही पितृपक्ष की समाप्ति हो जाती है। ज्यादातर गांव देहातों में यह देखा जाता है कि लोग अपने पूर्वज की आत्मा की शांति के लिये बिहार के गया जिले में अवस्थित फल्गु नदी के किनारे जाकर पितरों के तर्पण करते है।

पुराणों मे यह बतलाया गया है कि भाद्रपद मास के पन्द्रह दिनों तक यमराज पितरों को मुक्त करते है ताकि पूर्वज अपने पुत्र, पौत्र आदि के तर्पण को लेकर उन्हें आशीर्वाद दे सके। इस समय पूर्वजों की आत्मा मृत्यु लोक से धरती लोक यानि गयाधाम को जाते है। इसलिये गया जाकर पिंडदान करना सबसे उत्तम माना गया है। गयाधाम तीर्थों मे से एक तीर्थ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि अयोध्या के महाराज दशरथ का पिंडदान भी इसी फल्गु तट पर त्रेतायुग में भगवान श्री राम और माता सीता के हाथों किया गया था। बताया जाता है कि पितृपक्ष के इन पन्द्रह दिनों तक सभी शुभ कार्य वर्जित किये गये है। महालया के आरंभ होने से एक दिन पहले ही पितृपक्ष की समाप्ति हो जायेगी और देवी पक्ष के आरंभ होते ही शुभ कार्य प्रारंभ हो जायेंगे।

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