महाराजगंज । महाराजगंज जनपद के निचलौल ब्लाक अंतर्गत ग्राम सभा पैकौली कला में करीब दो वर्ष बाद मनरेगा घोटाले में तत्कालीन ग्राम प्रधान सहित तीन पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया पर दोषी पंचायत सचिवों पर कार्यवाही से अधिकारी परहेज कर रहे है जबकि उनसे रिकवरी भी करा ली गई गई
..अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब सचिवों ने खुद रिकवरी दे अपना अपराध कबूल है तो विभाग उन्हें क्यों बचाने में लगा हुआ है अब ऐसे में सम्बंधित विभाग के कारनामों की चर्चा जोरों पर चल रही है कि जब इस मामले में तीन आरोपियों पर कार्यवाही करा दी गई है तो फिर सचिवों पर कार्यवाही क्यों नहीं …?
अब जान लेते है क्या है पूरा मामला 
मनरेगा घोटाले में 23 माह बाद मामला बताते चले निचलौल विकास खण्ड के ग्राम पैकौली कला में पिछले ग्राम प्रधान के कार्यकाल यानी सत्र 2019/20 व 2020/21 में ग्राम के ही रितेश पाण्डेय ने मनरेगा घोटाले का आरोप लगाते हुए उच्चाधिकारियों को दिए गए शिकायती पत्र में लिखा था कि मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्डधारक मजदूरी तो कर रहा है लेकिन उनका पैसा किसी अन्य के बैंक खाते में भेजा जा रहा है | रितेश पाण्डेय द्वारा की गई शिकायत की जब जांच कराई गई तो मामला सही पाया गया और 7 अक्टूबर 2020 को खण्ड विकास अधिकारी निचलौल ने एक पत्र जारी किया जिसमें उन्होंने साफ लिखा कि सत्र 2019/20 व 2020/21 में कूटरचित तरीके से 265324 रुपये का दुरुपयोग / गबन पाया गया है , ऐसे में ग्राम प्रधान, सचिवों, तकनीकी सहायकों से 33/33 प्रतिशत की वसूली धनराशि को मनरेगा के खाते में एक सप्ताह के अन्दर जमा करने का निर्देश दिया था ।
खण्ड विकास अधिकारी ने ग्राम प्रधान अरविन्द मिश्रा को जिसमें 88461 रुपये, तीन तकनीकी सहायकों को 29487/29487 रुपये व ग्राम पंचायत सचिव क्रमशः देवेन्द्र कुमार यादव व धीरू यादव को 44231-44231 रुपये मनरेगा खाते में एक सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया गया, इस आदेश के बाद सभी ने मनरेगा के खाते में पैसा जमा कर दिया । जिससे इसकी पुष्टि हो गई थी कि यह पूरा मामला गबन का है | जिसके के बाद ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक व कम्प्यूटर आपरेटर पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया गया | वही अन्य दो दोषियों का नाम तहरी से गायब कर दिया गया । हैरानी की बात तो यह है कि इस खेल को अंजाम देने वालों में जहां एक तरफ सचिवों को बचाने का षड्यंत्र रचा गया वही यह पूरा का पूरा मामला सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया और जब 23 माह गुजर गया और कोई कार्यवाही नहीं की गई तो शिकायतकर्ता पिछले सप्ताह जिलाधिकारी महाराजगंज सत्येन्द्र कुमार को फिर शिकायती पत्र देकर कार्यवाही की मांग की | जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद कोठीभार थाना में तत्कालीन ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक व तत्कालीन कम्प्यूटर आपरेटर के विरुद्ध धारा 409, 419 व 420 के तहत मामला दर्ज हुआ ।
जब दोषी सभी तो सचिव पर मेहरबानी क्यों..

जिलाधिकारी महाराजगंज सत्येन्द्र कुमार के आदेश के बाद तीन आरोपियों पर मुकदमा पंजीकृत करा विभाग ने अपने दायित्वों का इतिश्री करने का जो प्रयास किया है उसका हर तरफ यही चर्चा है कि जब दोषी सभी तो कार्यवाही सिर्फ तीन पर ही क्यों आख़िर किस मोहमाया में उन आरोपियों को बचाया जा रहा है जिन्होंने खुद रिकवरी दे इस गुनाह में शामिल होने की पुष्टि कर दी थी क्या विभाग व् प्रसाशन की नजर में दोषियों का पैमाना भी अलग अलग होता है…? अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या दिशानिर्देश पारित करता है…? अब क्षेत्रीय जनता की निगाहे जिलाधिकारी महाराजगंज की तरफ टकटकी लगाये हुए है कि अब आगे क्या कार्यवाही की जाएगी…?
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