ग्राम पंचायत सचिव की मनमानी, जन सूचना कानून की धज्जियां उड़ा रहे अधिकारी
📍 बॉर्डर न्यूज़ लाइव, महराजगंज
🔹 RTI कानून की धज्जियां: सूचना न मिलने से पारदर्शिता पर सवाल
महराजगंज जिले के निचलौल ब्लॉक में जन सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी उच्चाधिकारियों के निर्देशों के बावजूद आवेदक को नहीं दी जा रही। खासतौर पर ग्राम सभा गड़ौरा में सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों से जुड़ी जानकारियां ग्राम पंचायत सचिव और खंड विकास अधिकारी (BDO) की मनमानी के कारण अब तक गोपनीय बनी हुई हैं।
RTI के तहत 23 सितंबर 2024 से लंबित सूचना
👉 आवेदक द्वारा 23 सितंबर 2024 को ग्राम सभा गड़ौरा में हुए विकास कार्यों की सूचना मांगी गई थी, लेकिन सूचना देने में लगातार टालमटोल किया जा रहा है।
👉 DPRO महराजगंज ने 22 नवंबर 2024 को पत्रांक संख्या 2768/पंचायत/जन सूचना/2023-24 के माध्यम से सहायक विकास अधिकारी (पंचायत), निचलौल को निर्देश दिया था कि एक सप्ताह के भीतर सूचना आवेदक को दी जाए, लेकिन आदेश की खुलेआम अवहेलना की गई।
👉 खंड विकास अधिकारी (BDO) निचलौल और ग्राम पंचायत सचिव ने उच्चाधिकारियों के निर्देशों को भी दरकिनार कर दिया, जिससे सूचना मिलने की प्रक्रिया ठप हो गई है।
🔹 जिला विकास अधिकारी (DVO) के दो पत्र भी हुए नजरअंदाज
आवेदक को सूचना नहीं मिलने पर उसने जिला विकास अधिकारी (DVO) महराजगंज से शिकायत की। इसके जवाब में –
📌 4 जनवरी 2025 को DVO महराजगंज ने पत्रांक संख्या 964/सूचना का अधिकार/2024-25 जारी कर DPRO को सूचना देने का आदेश दिया।
📌 सूचना फिर भी न मिलने पर, 1 मार्च 2025 को DVO ने पत्रांक संख्या 1155/सूचना का अधिकार/2024-25 जारी कर सूचना शीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
📌 लेकिन अधिकारी अब तक RTI कानून की अवहेलना कर रहे हैं।
🔹 कौन रोक रहा है RTI की सूचना?
✅ जब जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) और जिला विकास अधिकारी (DVO) बार-बार पत्र भेज रहे हैं, तो फिर सूचना क्यों नहीं दी जा रही?
✅ क्या निचलौल ब्लॉक प्रशासन RTI कानून को जानबूझकर कमजोर कर रहा है?
✅ क्या इस देरी के पीछे कोई भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश हो रही है?
✅ क्या ग्राम पंचायत सचिव और BDO को किसी बड़े अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है?
👉 RTI कानून का उद्देश्य सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों में पारदर्शिता लाना है, लेकिन निचलौल ब्लॉक में इस कानून का खुला उल्लंघन हो रहा है।
🔹 RTI पर उठते सवाल: पारदर्शिता पर संकट
⚠ RTI अधिनियम 2005 का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सरकारी कामकाज की पारदर्शी जानकारी देना है। लेकिन जब खुद उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना की जा रही हो, तो सूचना प्राप्त करना असंभव सा लगता है।
📌 इस मामले में RTI एक्ट की धारा 6 (3) के तहत आवेदक को 30 दिनों के भीतर सूचना मिलनी चाहिए थी, लेकिन 5 महीने बाद भी जवाब नहीं दिया गया।
📌 RTI एक्ट की धारा 20 (1) के अनुसार, सूचना न देने पर दोषी अधिकारी पर 250 रुपये प्रतिदिन जुर्माना लगाया जा सकता है, लेकिन यहां कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
📌 अगर RTI के तहत भी जानकारी नहीं दी जाएगी, तो फिर आखिर कौन सा माध्यम बचा है, जहां से आम नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा कर सके?
🔹 क्या होगी अगली कार्रवाई?
🚨 अब देखना होगा कि क्या इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होती है या फिर RTI कानून को यूं ही ताक पर रखा जाता रहेगा?
📌 आवेदक को सूचना देने में हो रही देरी पर क्या राज्य सूचना आयोग (SIC) हस्तक्षेप करेगा?
📌 क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई होगी?
📌 क्या RTI कार्यकर्ताओं को अपने अधिकारों के लिए अब न्यायालय का सहारा लेना पड़ेगा?
👉 बॉर्डर न्यूज़ लाइव इस मामले पर नजर बनाए रखेगा और आगे की कार्रवाई से आपको अवगत कराएगा।