उर्वरक की भारी कमी से किसानों में हताशा, शासन-प्रशासन के दावे हो रहे फेल
ठूठीबारी/महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के ठूठीबारी साधन सहकारी समिति पर उर्वरक की कमी और उसे प्राप्त करने के लिए किसानों की भारी भीड़ ने शासन-प्रशासन के दावों की पोल खोल दी है। किसानों के लिए यह समय खेती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और ऐसे में उर्वरक की अनुपलब्धता उनके लिए गंभीर समस्या बन गई है।
केंद्र पर किसानों की भीड़ और सीमित उर्वरक की समस्या
ठूठीबारी साधन सहकारी समिति पर इस समय हजारों किसानों की भीड़ जुट रही है, लेकिन उपलब्ध उर्वरक की मात्रा बेहद सीमित है। जानकारी के अनुसार, एक सप्ताह में केवल 200 बोरी उर्वरक की आपूर्ति हो रही है, जबकि दर्जनों गांवों के हजारों किसान इसकी मांग कर रहे हैं।
किसान शिकायत कर रहे हैं कि चाहे उनकी खेती कितनी भी बड़ी हो, उन्हें अधिकतम दो बोरी उर्वरक ही दी जा रही है। ऐसे में उनकी फसल की उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कई किसानों ने यह भी कहा कि उनकी फसल तैयार होने की कगार पर है, और यदि उर्वरक समय पर नहीं मिला, तो उनका सालभर की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
पारदर्शिता के प्रयास और किसानों का असंतोष
सहकारी समिति केंद्र पर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। उर्वरक वितरण की प्रक्रिया में किसान रजिस्टर पर साइन करते हैं, और प्रत्येक किसान को उसकी जरूरत के अनुसार ही उर्वरक देने की कोशिश की जा रही है। इसके बावजूद किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
किसानों का कहना है कि पारदर्शिता के प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन जब तक उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होगा, तब तक उनकी समस्याएं हल नहीं होंगी। एक किसान ने कहा, “हमारे नंबर आने में हफ्तों का समय लग सकता है। पारदर्शिता अच्छी है, लेकिन हमें उर्वरक कब मिलेगा, यह सबसे बड़ी चिंता है।”
प्राइवेट दुकानों पर उर्वरक महंगा और कम गुणवत्ता वाला
सरकारी सहकारी समितियों की अपेक्षा, प्राइवेट दुकानों पर उर्वरक आसानी से उपलब्ध है। हालांकि, किसान प्राइवेट दुकानों से उर्वरक खरीदने से बच रहे हैं, क्योंकि वहां यह न केवल महंगा है, बल्कि गुणवत्ता की गारंटी भी नहीं है।
कई किसानों का कहना है कि प्राइवेट दुकानों पर मिलने वाले उर्वरक की कीमत इतनी ज्यादा है कि इसे खरीदने पर उनकी लागत में भारी इजाफा हो जाएगा। इसके अलावा, किसानों को यह भी शिकायत है कि प्राइवेट दुकानों से खरीदा गया उर्वरक उनकी फसलों पर अपेक्षित परिणाम नहीं देता।
नैनो उर्वरक की अल्प लोकप्रियता
शासन-प्रशासन द्वारा नैनो उर्वरक को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह किसानों को रास नहीं आ रहा। नैनो उर्वरक के फायदे और इसके इस्तेमाल के तरीकों के बारे में किसानों को पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई है। नतीजतन, वे इसे अपनाने में रुचि नहीं दिखा रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि नैनो उर्वरक एक बेहतर विकल्प हो सकता है, लेकिन इसके लिए जागरूकता अभियान और प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। जब तक किसानों को इसके लाभों के बारे में सही जानकारी नहीं मिलेगी, तब तक वे इसे अपनाने में हिचकिचाएंगे।
नेपाल सीमा पर तस्करी की चुनौती
महराजगंज जिला भारत-नेपाल सीमा से लगा हुआ है, जिसकी लंबाई लगभग 84 किमी है। इस क्षेत्र में तस्करी एक बड़ी समस्या बन गई है। स्थानीय किसानों का कहना है कि उर्वरक तस्करों के लिए एक आसान सौदा बन गया है।
छोटी-बड़ी पगडंडियों के सहारे भारतीय उर्वरक को नेपाल ले जाया जा रहा है। सीमित सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही के चलते तस्करों को रोकने में मुश्किल हो रही है। किसान दावा करते हैं कि यदि तस्करी पर अंकुश लगाया जाए, तो उर्वरक की स्थानीय कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
सहकारी समिति केंद्र पर सुरक्षा व्यवस्था
ठूठीबारी साधन सहकारी समिति केंद्र पर किसानों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने पुलिस बल तैनात किया है। कोतवाली पुलिस के जवान सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र पर मौजूद हैं। हालांकि, किसानों का कहना है कि पुलिस बल की तैनाती केवल भीड़ को नियंत्रित करने तक सीमित है और इससे उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा।
शासन-प्रशासन के दावे और हकीकत
शासन-प्रशासन का दावा है कि उर्वरक की कोई कमी नहीं है और इसे सभी किसानों को समय पर उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन ठूठीबारी के साधन सहकारी केंद्र की स्थिति इन दावों की सच्चाई को उजागर करती है।
किसान सीधे तौर पर प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि कागजों पर योजनाएं जरूर बनाई जाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन बेहद कमजोर है।
किसानों की समस्याओं का समाधान कैसे हो?
किसानों की समस्याओं का समाधान तत्काल रूप से किया जाना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- उर्वरक की आपूर्ति बढ़ाई जाए
सहकारी समितियों पर उर्वरक की आपूर्ति में वृद्धि करना सबसे पहला कदम होना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराकर ही किसानों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है। - तस्करी पर सख्त कार्रवाई
नेपाल सीमा पर उर्वरक तस्करी को रोकने के लिए कड़ी निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है। तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके स्थानीय किसानों के लिए उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। - नैनो उर्वरक का प्रचार-प्रसार
नैनो उर्वरक को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। किसानों को इसके फायदे और इस्तेमाल के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया जाना चाहिए। - प्राइवेट दुकानों पर निगरानी
प्राइवेट उर्वरक विक्रेताओं द्वारा महंगे दाम और कम गुणवत्ता के उर्वरक बेचने पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। - सहकारी समितियों पर स्टाफ की संख्या बढ़ाई जाए
एक सचिव और एक प्राइवेट वर्कर के सहारे हजारों किसानों में उर्वरक वितरण संभव नहीं है। समितियों पर स्टाफ की संख्या बढ़ाकर वितरण प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है।
ठूठीबारी और उससे जुड़े दर्जनों गांवों के किसानों की समस्या इस बात का प्रमाण है कि शासन-प्रशासन के दावे और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है। किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति और वितरण प्रक्रिया में सुधार किए जाने चाहिए। इसके अलावा, तस्करी और प्राइवेट दुकानों पर हो रही लूट को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
जब तक किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार समय पर उर्वरक नहीं मिलेगा, तब तक उनकी समस्याएं बनी रहेंगी। यह समय है कि शासन-प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से समझे और किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करे।